चाहत

डरता है दिल मेरा आज

किसी को खोने से,

उसको भी चाहत है मेरी

दिल के किसी कोने से,

फिर से आज वो फिजाये

लौट के आयी है,

आज कुदरत ने एक दुल्हन सजायी है.

हीना का रन्ग

कभी गुलाबो की महक,

बेताब करती है

तुम्हारी वो अधूरी सी झलक,

अब जाके मेरी

जान मे जान आयी है,

आज कुदरत ने एक दुल्हन सजायी है.

कुछ सवाल मेरे जेहन मे

करवटे बदलते है,

जब ये मुलाकातो के

सिलसिले चलते है,

तबियत मेरी आज

फिर घबरयी है,

आज कुदरत ने एक दुल्हन सजायी है.

हकीकत है

या ख्वाबो के पुलिन्दे,

हम है आसमा मे

उडते परिन्दे,

सूरज की ललिमा

किनारो पे छायि है,

आज कुदरत ने एक दुल्हन सजायी है.

तेरे कन्धे पे

सर रख के सो जाऊ,

आज मै तुझमे

शमिल हो जाऊ,

खामोश आहटो से

तुम्हारी आवाज आयी है,

आज कुदरत ने एक दुल्हन सजायी है.